|
मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग का कार्य
|
|
• आयोग निम्नलिखित समस्त या उनमें से किन्हीं भी कृत्यों का पालन करेगा अर्थात
• महिलाओं के लिए संविधान तथा अन्य विधियों के अधीन उपबंधित संरक्षणों से संबंधित समस्त मामलों को अन्वेषण तथा संपरीक्षण करना,
• राज्य सरकार को वार्षिक रूप से तथा ऐसे अन्य समयों पर, जैसा कि आयोग उचित समझे, ऐसे संरक्षणों के कार्यान्वयन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करना,
• संविधान तथा अन्य विधियों में महिलाओं के संबंध में किए गए उपबंधों के उल्लघंन के मामलों को समुचित प्राधिकारियों तक ले जाना,
• महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना तैयार करने संबंधी प्रक्रिया में भाग लेना तथा सलाह देना,
• ऐसे मुकदमों का धन देना, जिनमें ऐसे मुददे अन्तर्वलित हैं, जो महिलाओं के बड़े समूह पर प्रभाव डालते है । |
|
निम्नलिखित के संबंध में गहन अध्ययन करना : राज्य की महिलाओं की आर्थिक, शैक्षाणिक तथा स्वास्थ्य संबंधी सिथति इसमें विशिष्टतया आदिवासी जिलों तथा ऐसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जो महिलाओं की साक्षरता, मृत्यु-दर तथा आर्थिक विकास की दृषिट से कम विकसित है । वे परिसिथतियां जिनमें महिलाएं कारखानों स्थापनाओं, निर्माण स्थलों तथा वैसी ही अन्य सिथतियों में कार्य करती हैं और उक्त क्षेत्रों में महिलाओं की प्रासिथति में सुधार हेतु विशिष्ट रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार को सिफारिश करना है । राज्य में या चुने हुए क्षेत्रों में, महिलाओं के विरूद्ध उन समस्त अपराधों की, जिनके अंतर्गत महिलाओं के विवाह तथा दहेज, बलात्कार, व्यपहरण, अपहरण, छेड़छाड़, महिलाओं के अनैतिक व्यापार से संबंधित मामले तथा प्रसव करवाने या नसबंदी करवाने के समय चिकित्सीय उपेक्षा या गर्भधारण या शिशु जन्म से संबंधित चिकित्सीय हस्तक्षेप के मामले आते हैं, समय-समय पर जानकारी संकलित करना । महिलाओं के प्रति अत्याचारों के विरूद्ध संपूर्ण राज्य में या विनिर्दिष्ट क्षेत्रों में लोकमत जुटाने के लिए राज्य प्रकोष्ठ और जिला प्रकोष्ठों, यदि कोर्इ हो, के साथ समन्वय करना जिससे ऐसे अत्याचारों संबंधी अपराध की शीघ्र रिपोर्ट की जाने तथा पता लगाए जाने और ऐसे अपराधों के विरूद्ध लोकमत जुटाने में सहायता मिलेगी।
|
|
मान. आयोग द्वारा शासनगृह विभाग को भेजी गर्इ अनुशंसाए
|
1. पीडि़त महिला जिस किसी थाने में षिकायत करने जावे उसी थाने में उसकी षिकायत की रिर्पोट दर्ज की जावे ।
2. मेडिकल भी अविलम्ब उसी थाने के द्वारा महिला चिकित्सक से कराया जावे। शासकीय चिकित्सक उपलब्ध न होने की दषा में रजिस्ट्रर्ड मेडिकल प्रेकिट्रषनर से कराये।
3. चूकि अधिकतर बलात्कार के प्रकरण में चिकित्सक की रिपोर्ट अस्पष्ट होती है अथवा वह पीडिता के व्यकितगत जीवनषैली जिसका प्रकरण से लेना देना नही होता है के बारे में अपना अभिमत देते है। मेडीकल करने वाले चिकित्सक को इन प्रकरणों के लिये विषेष रूप से समय-समय पर प्रशिक्षित किया जावे।
4. आवष्यक रूप से क्लास वन महिला अधिकारी द्वारा जाच करार्इ जावे।
5. बलात्कार के प्रकरणों में अनुसंधान की कार्यवाही एक निषिचत अवधि में पूर्ण करने के निर्देष प्रत्येक विवेचना अधिकारी को दिये जाये जिससे अनावष्यक विलम्व न हो।
6. पीडि़ता को तुरन्त मनोवेज्ञानिक एवं चिकित्सयी सुविधा उपलब्ध करार्इ जावे, यह सुनिषिचत किया जाये कि इस अपराध के घटने से महिला को कोर्इ शरीरिक बीमारी होने की सम्भावना तो नही है जैसे एडस, यूरीनरी इन्फेक्सन आदि। अपराध घटित होने से पीडि़ता को गर्भ ठहराने की संभावना होती है इसका निदान किया जाना चाहिये।
7. पीडि़ता एवं गवाहों के ब्यान धारा 164 दण्ड प्रकि्रया संहिता के अन्तर्गत तत्काल लिये जावे एवं धारा 54 (क) दण्ड प्रकि्रया संहिता के तहत आरोपियों की पहचान की कार्यवाही तत्काल करार्इ जाये।
8. बलात्कार के प्रकरणों की सुनवार्इ हेतु संभागीय स्तर पर अलग से फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाया जावे।
9. प्रदेष में होने वाले हर दर्ज बलात्कार के अपराध की रिर्पोट जिसमें मेडिकल रिर्पोट आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना एवं जांच से जुडे सभी पहलुओं की जानकारी 7 दिवस में आवष्यकरूप से राज्य महिला आयोग को भेजी जावे।
10. आवष्यक रूप से पुलिस, स्वास्थ्य विभाग एवं ज्यूडिषरी को महिलाओं के प्रति संवेदनषील बनाने की कार्यवाही समय समय पर की जाए।
11. बलात्कार से पीडि़त महिलाओं को लिए पुर्नवास कार्यक्रम लागू किया जावे।
|
|